किसानों के लिए मिल रहा स्प्रिंकलर, तत्काल कार्यालयों में मिलें
- भू-जल संचयन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हेतु प्रदेश के समस्त जनपदों में चल रही प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना

 

- लघु एवं सीमान्त किसानों को इकाई लागत के सापेक्ष 90 प्रतिशत

तक का अनुदान अनुमन्य

 

- ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति हेतु देश की 68 निर्माता फर्म अनुबंधित

 

लखनऊ, 22 अगस्त। उत्तर प्रदेश के उद्यान मंत्री दारा सिंह चैहान के निर्देशन में भू-जल संचयन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के उद्देश्य से प्रदेश के समस्त जनपदों में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना लागू की गयी है। ड्रिप सिंचाई, मिनी स्प्रिंकलर, माइक्रो, पोर्टेबुल, सेमीपरमानेन्ट एवं लार्ज वाल्यूम (रेनगन) के नवीन सिंचाई पद्धति के प्रति किसानों को आकर्षित करने हेतु प्रदेश सरकार निर्धारित अनुदान के अतिरिक्त 35 प्रतिशत की सहायता उपलब्ध करा रही है। उद्यान मंत्री ने बताया कि लघु एवं सीमान्त किसानों को इकाई लागत के सापेक्ष 90 प्रतिशत एवं अन्य किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान डी0बी0टी0 के माध्यम से किसानों को उनके खाते में सीधे उपलब्ध कराया जा रहा है।

      श्री चैहान ने बताया कि प्रदेश में ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति के अंगीकरण हेतु राज्य स्तरीय स्वीकृत समिति द्वारा देश की 68 निर्माता फर्म 5 वर्षों के लिये अनुबंधित की गयी हैं। किसान इन निर्माता फर्म में से किसी भी फर्म से कार्य कराने हेतु स्वतंत्र हैं। उद्यान मंत्री ने बताया कि यद्यपि ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति को अपनाने में प्रदेश के किसानों द्वारा विशेष रूचि ली जा रही है, फिर भी प्रदेश के बागवानों, किसानों एवं गन्ना उत्पादकों को सलाह देते हुये कहा कि गुणवत्तायुक्त उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के लिये अधिक से अधिक किसान ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई पर उपलब्ध अनुदान का लाभ अवश्य प्राप्त करें।

      उद्यान मंत्री ने बताया कि नियोजन विभाग के सर्वे के अनुसार 2017-18 में जनपद प्रतापगढ़, बहराइच, मुरादाबाद, सहारनपुर, रायबरेली, फतेहपुर, बांदा एवं झांसी के गन्ना, आलू, केला, गेंहू, दाल वाली फसलों, विभिन्न प्रकार की सब्जियों तथा मिश्रित खेती करने वाले किसानों को ड्रिप एवं स्प्रिंकलर से उत्पादन में 25 प्रतिशत तथा आय में 32 प्रतिशत तक की वृद्धि पायी गयी है। उन्होंने बताया कि योजनान्तर्गत लाभार्थी किसानों को औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्रों, कृषि विज्ञान केन्द्रों पर प्रशिक्षण भी दिया गया है। साथ ही वैज्ञानिकों एवं निर्माता फर्म द्वारा उपकरण के रख-रखाव की भी जानकारी दी जा रही है। सर्वे में प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार लाभार्थी किसानों को डी0बी0टी0 के माध्यम से अनुदान प्राप्त करने में कोई परेशानी नहीं हुयी।