- गलैण्डर्स-फार्सी सर्विलियेन्स योजना के तहत एक दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन
लखनऊ, 25 सितम्बर। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की गलैण्डर्स-फार्सी सर्विलियेन्स योजना के तहत एक दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन आज पशुपालन निदेशालय में किया गया। कार्यक्रम में प्रदेश के लगभग 2.50 लाख अश्व प्रजाति (घोड़े, गधे एवं खच्चर) की स्वास्थ्य रक्षा के लिए किए जा रहे कार्यों पर विचार-विमर्श किया गया।
संगोष्ठी में भारत सरकार के पशुपालन आयुक्त डा. प्रवीन कुमार मलिक ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि ग्लैण्डर्स बीमारी की महत्ता इससे और बढ़ जाती है क्योंकि यह बीमारी पशुओं से मनुष्यों को भी हो सकती है। इस प्रकार, ग्लैण्डर्स रोग के सर्वेक्षण से जहाँ एक ओर पशुओं को बचाया जाता है, वहीं दूसरी ओर जनमानस को भी सुरक्षित रखने का प्रयास किया जाता है। ग्लैण्डर्स/फार्सी सर्विलियेनस योजना के संचालन के लिये भारत सरकार की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से वित्त पोषण किया जा रहा है।
संगोष्ठी में डा. यूपी सिंह, निदेशक (प्रशासन एवं विकास) एवं डा. एकके श्रीवास्तव, निदेशक (रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र) ने भी अपने विचार व्यक्त किये। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि घोड़ों, गधों एवं खच्चरों में होने वाली ग्लैण्डर्स बीमारी के सर्वेक्षण का कार्य क्षेत्रीय स्तर पर खून के नमूने एकत्र कर किया जाता हैं जिसका परीक्षण हिसार स्थित भारतीय अश्व अनुसंधान केन्द्र द्वारा किया जाता है। पाॅजिटिव पाए जाने वाले पशुओं को तकनीकी विधि से दफनाया जाता है और उनके पशु मालिकों को सरकार द्वारा अनुमन्य क्षतिपूर्ति के रूप में धनराशि वितरित की जाती है।
ग्लैण्डर्स बीमारी की रोकथाम एवं सर्वेक्षण का कार्य देख रहे डा. एसके अग्रवाल, संयुक्त निदेशक (इपीडी) द्वारा बताया गया कि वर्ष 2019-20 में 7336 अश्व प्रजाति के पशुओं से रक्त के नमूने एकत्र किये गये जिसमें से 72 पशुओं के नमूने पाजिटिव पाये गये। पाजिटिव पाये गये पशुओं को दर्दरहित मृत्यु देकर तकनीकी विधि से दफनाया जाता है। संबंधित पशुपालकों को क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जा रहा है।
संगोष्ठी में, प्रदेश के समस्त जनपदों से नामित नोडल अधिकारियों ने प्रतिभाग किया। संगोष्ठी में ब्रुक्स इण्डिया के प्रतिनिध डा. सौरभ सिंह ने भी ग्लैण्डर्स रोक के रोकथाम पर अपने विचार व्यक्त किये।