- सिंचाई विभाग की विभिन्न परिसम्पत्तियों का उपयोग करके सौर ऊर्जा से 13500 मेगावाट का विद्युत उत्पादन संभव
- सौर ऊर्जा/वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में उप्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिंचाई विभाग की नयी पहल
लखनऊ, 23 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डा. महेन्द्र सिंह ने कहा है कि उत्तर प्रदेश को वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिंचाई विभाग के नहरों, जलाशयों, तटबंधों, बेकार जमीनों का उपयोग करके 13500 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया जाना संभव होगा। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निजी क्षेत्र की जानी-मानी कंपनियों के साथ मिलकर 15-20 वर्षों के लिए सौर ऊर्जा तथा जल संपदा प्रबंधन के लिए रोडमैप तैयार किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सिंचाई की विभिन्न प्रणालियों में नयी तकनीक अपनाकर कम से कम पानी का उपयोग करके अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने का प्रयास किया जायेगा। इसके साथ ही हर खेत को पानी तथा घर-घर नल से जल योजना को सफल बनाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपनों को जमीन पर उतारा जायेगा।
जलशक्ति मंत्री आज यहां तेलीबाग स्थित डा. राम मनोहर लोहिया परिकल्प भवन में देश व विदेश से आयी हुयी सौर ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने वाली विभिन्न कंपनियों के दो दिवसीय सम्मेलन के समापन के अवसर पर उनका प्रस्तुतीकरण देखने के बाद मीडिया को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सिंचाई, लघु सिंचाई, परती भूमि विकास, भूगर्भ जल तथा नमामि गंगे आदि विभागों को जोड़कर जलशक्ति विभाग का गठन किया गया है। यह विभाग सफलतापूर्वक कैसे कार्य करे, इसके संबंध में दो दिनों तक गहन विचार-विमर्श किया गया और शीघ्र ही निष्कर्षों के आधार पर निजी क्षेत्र के सहभागिता से कार्य करते हुए सिंचाई विभाग को देश का नम्बर-1 विभाग बनाया जायेगा।
डा. महेन्द्र सिंह ने कहा कि पानी की समस्या दिनोदिन गंभीर होती जा रही है। प्रदेश के 133 विकासखण्ड डार्क जोन में आ गये हैं। इनको सेफ जोन में लाने के लिए निजी क्षेत्र का सुझाव व सहयोग लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि सोनभद्र व मिर्जापुर तथा विंध्यक्षेत्र में वायु ऊर्जा से विद्युत उत्पादन की संभावनाओं पर काम किया जायेगा। हरित ऊर्जा के प्रयोग से पर्यावरण असंतुलन, ग्लोबल वार्मिंग व नहरों का तेजी से वाष्पीकरण पर नियंत्रण स्थापित किया जायेगा। इससे सूखे व बाढ़ की समस्या काफी हद तक कम होगी। इसके साथ ही सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना से विद्युत उत्पादन बढ़ेगा।
जलशक्ति मंत्री ने कहा कि सिंचाई विभाग के पास 75 हजार किलोमीटर लम्बी नहरें, 33800 राजकीय नलकूपों, 92 जलाशय व 281 लिफ्ट इरीगेशन नहरों पर सोलर पावर प्रणाली स्थापित की जा सकती है। नहरों के ऊपर कनाल टाप सोलर प्लाण्ट व जलाशयों में फ्लोटिंग सोलर प्लाण्ट लगाकर सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन किया जायेगा। लगभग 27000 हे. नहरी क्षेत्र पर कनाल टाप पैनल व 150 हे. जलाशयों के क्षेत्र पर फ्लोटिंग पैनल का उपयोग करके सौर ऊर्जा से 13500 मेगावाट विजली का उत्पादन किया जाना संभव होगा। इस विद्युत का उपयोग सिंचाई विभाग में करने के उपरान्त बची हुई बिजली को ग्रिड को हस्तान्तरित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग सिंचाई प्रणालियों पर 3 हजार करोड़ ₹ बिजली का बिल अदा करता है, इसकी भी बचत होगी।
प्रमुख सचिव सिंचाई एवं जलसंसाधन टी. वेंकटेश ने कहा कि सिंचाई विभाग सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में नयी पहल शुरू की है। सिंचाई विभाग के पास पर्याप्त भूमि बैंक है, इससे सौर ऊर्जा के माध्यम से विद्युत उत्पादन किया जायेगा। सिंचाई विभाग बिना धन खर्च किये सौर ऊर्जा पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि उप्र एक राष्ट्र की तरह है विभिन्न भूभागों की भौगोलिक स्थिति देखते हुए नवीन तकनीकी का उपयोग करके विद्युत उत्पादन किया जायेगा। विशेष सचिव सिंचाई डा. सारिका मोहन ने कहा कि सिंचाई विभाग के संपत्तियों का बेहतर उपयोग करके पी.पी.पी. के माध्यम से सौर ऊर्जा का उपयोग कैसे किया जाय, इसके लिए विभिन्न फर्मों का प्रस्तुतीकरण व सुझाव के मददेनजर शीघ्र ही रणनीति तैयार की जायेगी।
इस दो दिवसीय सम्मेलन में देश-विदेश की सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में कार्य करने वाली कंपनियों ने अपना प्रस्तुतीकरण दिया। उनमें दक्षिण कोरिया की फर्म यूएण्डआई और केप्को नाॅरीक्स ग्रीन सोल्यूशन, वीवीजी इण्डिया, सन सोर्स, एल एण्ड टी, हैवल्स इण्डिया लि. आदि शामिल थीं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार केवी राजू तथा सिंचाई विभाग के बड़ी संख्या में अभियन्तागण मौजूद थे।