उच्च न्याय पालिका में आरक्षण के सम्बन्ध में भावी सीजेआई का बयान उचित नहीं : लौटन राम

- उच्च न्याय पालिका में आरक्षण के सम्बन्ध में भावी सीजेआई का बयान उचित नहीं : लौटन राम 
- जूनियर व सीनियर ज्यूडीशियरी में आरक्षण है तो उच्च न्याय पालिका में क्यों नहीं : लौटन राम 

लखनऊ, 8 नवम्बर। उच्चतम न्यायालय के भावी मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि उच्च न्याय पालिका में आरक्षण की आवश्यकता महसूस नहीं की गयी है। उच्च न्याय पालिका में आरक्षण की अभी आवश्यकता नहीं बल्कि क्षेत्रीय असंतुलन दूर किया जाना आवश्यक है। मुख्य न्यायाधीश के आरक्षण के संबंध में दिये गये बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौधरी राम लौटन निषाद ने कहा कि उच्च न्याय पालिका में ओबीसी, एससी व एसटी को आरक्षण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कार्य पालिका के साथ-साथ जूनियर व सीनियर ज्यूडिशियरी में आरक्षण है तो उच्च न्याय पालिका में क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि सीजेआई का यह बयान कि न्याय पालिका की निष्पक्षता पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए, जो उचित नहीं है क्योंकि तमाम ऐसे मामले सामने आये हैं कि न्याय पालिका की निष्पक्षता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया जाना उचित लगता है।


निषाद ने कहा कि न्याय पालिका पर राजनीतिक दबाव भी दिखाई दे रहा है। जन नायक जनता पार्टी के अध्यक्ष दुश्यंत चैटाला के पिता अजय चैटाला घोटाला के मामले में लम्बे समय से जेल में बंद थे। हरियाणा विधान सभा चुनाव में दुश्यंत की पार्टी भाजपा के विरूद्ध चुनाव लड़ी लेकिन त्रिशंकु विधान सभा की स्थिति उत्पन्न होने पर भाजपा-जेजेपी का गठबंधन हो गया। दूसरे ही दिन अजय चैटाला के पेरोल की अर्जी प्रातः 10 बजे न्यायालय में दाखिल हुयी और तत्काल अर्जी को स्वीकृति प्रदान कर अजय चैटाला को जेल से छोड़ दिया गया। आखिर भ्रष्ट अजय चैटाला भाजपा से इनके पुत्र दुश्यंत की मित्रता के बाद ये ईमानदार कैसे हो गये? फूलन देवी का हत्यारा शेर सिंह राणा तिहाड़ जेल में बंद था। भाजपा की सरकार बनते ही 2014 में उसे पेरोल पर छोड़ा गया जो अभी तक बाहर है। आखिर न्याय पालिका के इस निर्णय के को कैसे निष्पक्ष व राजनीतिक दबाव से मुक्त कहा जाय ?
निषाद ने कहा कि चारा घोटाला जगन्नाथ मिश्रा के मुख्यमंत्रीत्व काल में हुआ। जनता दल की सरकार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने चारा घोटाला की जांच हेतु एक समिति का गठन किये परन्तु लालू प्रसाद यादव को ही दोषी ठहरा दिया गया। उच्च न्यायालय द्वारा जगन्नाथ मिश्रा को बेल व लालू प्रसाद यादव को जेेल, क्या यह न्यायपालिका की निष्पक्षता है? लोक सेवा आयोग व संघ लोक सेवा आयोग द्वारा त्रिस्तरीय प्रतियोगी परिक्षा पास करने के बाद अधिकारी बनने वाला सेवा योजक को न्यायपालिका बड़ी से बड़ी सजा देती है। और सजा देने वाला उच्च न्यायपालिका न्यायाधीश बिना किसी प्रतियोगी परीक्षा के जजों के कोलेजियम द्वारा नामित होता है। उन्होंने कोलेजियम सिस्टम से उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों का मनोनयन न कर संघ लोक सेवा आयोग व लोक सेवा आयोग की प्रतियोगी परीक्षा की भाँति राष्ट्रीय न्यायिक सेवा आयोग व राज्य विधिक सेवा आयोग द्वारा त्रिस्तरीय प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से किये जाने की माँग किया है।