विशेषज्ञों ने माना, महिलाओं की सुरक्षा व सशक्तिकरण के अनुरूप सार्वजनिक यातायात तंत्र तैयार करना समय की जरूरत
लखनऊ, 16 नवम्बर। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के तत्वाधान में इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन ट्रांसपोर्ट द्वारा लखनऊ (उ.प्र.) के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित हो रहे 12वें अर्बन मोबिलिटी कॉन्फ्रेंस ऐंड एक्सपो में आज ष्सार्वजनिक यातायात के माध्यम से महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा विषय पर एक विशेष सत्र का आयोजन हुआ। इस सत्र में यातायात हेतु अत्याधुनिक पब्लिक मोबिलिटी प्लैटफॉर्म्स के माध्यम से महिला सशक्तिकरण की दिशा में सकारात्मक भूमिका अदा करने पर विशेषज्ञों ने चर्चा-परिचर्चा की।

 

आज सुबह 11.30 से दोपहर 1 बजे तक आयोजित हुए इस सत्र की अध्यक्षता, आरके सिंह प्रमुख सचिव (यातायात), उत्तर प्रदेश (टीबीसी) ने की। इसके अतिरिक्त, श्रीमती रेखा शर्मा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोगय कु. डैनिएला कोइम्ब्रा स्वैटक, विशेषज्ञ सलाहकार, मोबिलिटी इनोवेशन, साओ पाओलो, ब्राजील और क्रिस्चियन वॉसेलर, वरिष्ठ परियोजना प्रबंधक, केएफडब्ल्यू बतौर पैनलिस्ट इस सत्र में शामिल रहे।

इसके अतिरिक्त, सत्र के दौरान महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े विभिन्न पहलुओं, महिला सशक्तिकरण और महिलाओं की सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में सार्वजनिक यातायात और उसके विभिन्न साधनों की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की गई।

सत्र की अध्यक्षता कर रहे आरके सिंह ने कहा, सार्वजनिक यातायात तंत्र के अंतर्गत महिलाओं की सुरक्षा एक ऐसा मुद्दा है, जिसका संबंध न सिर्फ महिलाओं की शारीरिक सुरक्षा से है, बल्कि यह महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा से भी संबंधित है। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसा सार्वजनिक यातायात तंत्र विकसित करना होगा, जिसका हर भाग महिलाओं के लिए पूर्णरूप से सुरक्षित हो। महिलाओं की सुरक्षा के संबंध में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि फुटपाथ इत्यादि पर रौशनी की पर्याप्त और सुयोचित व्यवस्था के माध्यम से महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। उन्होंने आगे कहा, ष्संबंधित अधिकृत इकाईयों और योजना तैयार करने वालों का दायित्व है कि वे महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए योजना तैयार करें और हर तरह के अतिक्रमण को रोकें।

सत्र के दौरान पैनलिस्ट्स ने चर्चा करते हुए जानकारी दी कि एक अध्ययन के मुताबिक पता चला है कि बस स्टॉपध्पिक अप पॉइंट पर भीड़ जमा होने के चलते महिलाओं को असुविधा होती है, जिसका उपाय खोजना अनिवार्य है। साथ ही, इस चर्चा के दौरान पैनलिस्ट्स इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि पुरुषों के अपेक्षा महिलाओं के पास यातायात के सीमित विकल्प हैं और इस वजह से उनकी सार्वजनिक यातायात के साधनों पर निर्भरता है और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए महिलाओं के लिए सार्वजनिक यातायात तंत्र का पूर्णरूप से सुरक्षित होना अनिवार्य है। विशेषज्ञों ने माना कि मल्टी-मोडल इंटीग्रेशन के साथ एक सतत और पूर्णरूप से सुरक्षित सार्वजनिक यातायात तंत्र मौजूदा वक्त की जरूरत है।