मालविका और अनमोल के गाये गीतों से सजी शाम
लखनऊ, 27 दिसम्बर। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की अवध संध्या शृंखला के अंतर्गत प्रस्तुत कार्यक्रम लोक बयार में लखनऊ की मालविका हरिओम और वाराणसी की गायिका लाडो अनमोल सिंह ने रेलिया बैरन पिया को लिये जाए रे..... जैसे लोक गीतों की सरस रसधार बहायी।
गोमतीनगर स्थित अकादमी के संत गाडगेजी महाराज प्रेक्षागृह में कार्यक्रम की शुरुआत मालविका ने पारम्परिक अवधी देवी गीत- तोहरी सरन हम आए अम्बे मइया.... से की। मेला गीत- गाड़ी हौले चलाओ गाड़ीवान करेजा मोरा धक-धक होये.... में नायिका के भावों को दर्शाया। विवाह गीतों से निकले द्वारचार गीत- बाजन बाजे द्वार रंगीला दूल्हा ब्याहन आया..... में उन्होंने अवधी परम्परा से हटकर थोड़ा पंजाबी पुट भी गायकी में दिखाया। देसज नायिका की फरमाइश का एक और चित्र उन्होंने नकटा- इसी दम पे गुलुबंद बनवाई दे बालमा में खींचा।
डा.अलका निवेदन के संचालन में शुरू हुए कार्यक्रम में अनमोल सिंह ने मुख्य रूप से कोयल बिना न सोहे राजा....... जैसे भोजपुरी गीतों को प्रस्तुत किया। खड़ी पूरबी- गौना कराके सइयां बस गइले सहर में..... गीत में उन्होंने भावना के अनुरूप नायिका की विरह वेदना को स्वर दिये। विश्व भोजपुरी सम्मेलन के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ से जुड़ी गायिका ने बारहमासी- नई झुलनी के छइयां बलम दुपहरिया..... में उन्होंने मास और ऋतुओं के हिसाब से नायिका के भावों को सुरों में पेश किया।
प्रस्तुति में हारमोनियम पर मालविका के साथ संगीतकार केवलकुमार थे तो तबला, आक्टोपैड, ढोलक, बैंजो, की-बोर्ड व बांसुरी इत्यादि वाद्यों पर गायिकाओं का साथ सत्यम, दीपक सिंह, सोनी त्रिपाठी, वीरेन्द्र श्रीवास्तव, मोतीलाल, शंकर वर्मा, चन्द्रेश व सुधीर गौतम ने दिया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत अकादमी के सचिव तरुण राज ने किया तथा अंत में अकादमी की अध्यक्ष डा.पूर्णिमा पाण्डे ने दोनों कलाकारों को पुष्पगुच्छ भेंट किये।
संगीत नाटक अकादमी की अवध संध्या में बही लोक बयार